अब तक तीन शहर , अब किसकी बारी

द्वारा मयूर On 11:04 PM

शायद ये पहला मौका ही होगा की देश के दो प्रमुख शहरों पे हमले हुए और राजनितिक दलों की प्रतिक्रिया पहले की तरह तीखी नही है । आज बीबीसी पर आडवानी जी का बयां सुना उन्होंने कहा कि इन धमाकों के पीछे कांग्रेस कि सोची समझी साजिश है , वे वोट के बदले नोट कांड से लोगों का दिमाग हटाने के लिए धमाके करवा रहे हैं , भाजपा का कहना है कि कांग्रेस ने मुस्लिम तुष्टि करन के लिए ही भाजपा शासित राज्य चुने । कुछ थोड़ा सा विश्लेषण किया है , मुझे तो लगता है कि इसके पीछे कुछ और ही है । कुछ सवाल जगे है उन्हें लिख रहा हूँ घटना क्रम के साथ :-

१-मई के दूसरे हफ्ते मैं सबसे पहले बम कांड कि शुरुआत जयपुर से होती है ,श्रृंखला बद्ध धमाके एक शांत शहर मैं आतंकवाद कि शुरुआत के साक्षी होते हैं और साक्षी होते है वे तमाम लोग जिन्होंने अपने अंग और परिजन खोये , पुलिस छान बिन करती है ,नक्शे बनते है ,सबूत मिलते हैं एक एक करके सब ठंडा हो जाता है ,कुछ हाथ नही लगता (ठोस) । जाँच चांदपोल , अजमेर , जोधपुर, जयपुर,सवाई माधो पुर ,साहिबाबाद सब जगह होती है पर कुल मिला के नतीजा सिफर

२- अगले महीने जून के तीसरे सप्ताह मैं बंगलुरु मैं धमाके होते है ,ख़बर अभी ताज़ी ही है , जांच जरी है कुछ ठोस नही,

३- उसी हफ्ते के आखरी दिन शनि वार को गुजरात कि राजधानी मैं धमाके हुए जाँच जारी " हम आतंक वादियों को नही छोडेंगे "


सवाल १ :- भाजपा शासित राज्य ही क्यों ?

सवाल २ :- वोट ऑफ़ कांफिडेंस के ठीक दूसरे दिन ही क्यों ?

सवाल ३ :- (हमेशा कि तरह) किसका हाथ है ?

सवाल ४ :- कारण ?

(जवाब जो मैंने सोचे वो आप सभी के जवाब आमंत्रित )

जवाब :- भाजपा का कहना है कि इन धमाकों के पीछे कांग्रेस का हाथ है जबकि मुझे लगता है कि नही इनके पीछे भाजपा का ही हाथ है , जो कि आपनी हार और लगातार गिरते राष्ट्रीय रजनीक छवि से परेशां होकर इस स्तर तक पहुँच गई है,इसमे आतंकवादी हाथ इसीलिए नही लगता क्योंकि माना कि आतंकवादियों का कोई धर्म नही होता सिवा दहशत फैलाने के ,पर फिर भी सभी सक्रिय आतंकवादी दल इस्लामी चेहरा प्रस्तुत करने मैं ही लगे रहते हैं और उनका निशाना हिंदू स्थान होता है ,पर इस बार ऐसा नही रहा ,निशाना रहा आम बाज़ार ,बसें ,आदि।

धमाकों कि तीव्रता भी ख़ास नही थी बस दिखावा भर थी कि लगे कि हाँ कोई बम चला है , नही तो आपको याद ही होगा कि मुंबई लोकल बम धमाकों कि स्थिति क्या थी ।

भाजपा शासित राज्यों का खुफिया तंत्र क्या इतना ख़राब है कि उसके साथ कि ही एक पार्टी धमाके करवाए ,उसके राज्य मैं, उसकी राजधानी मैं और वोह बस देखती ही रह जाए,लगता तो नही ? पर आडवानी जी के बयां से तो ऐसा ही लगता है , अगर ऐसा ही है तो फिर आतंक वादी तो कब मुख्यमंत्रियों को निपटा दें पता ही नही चलेगा

अपने ही राज्यों मैं धमाके करवाना आसान होता है इसीलिए चुन गाया इन शहरों को बात करते हैं पोता लागु करवाने कि ,अगर पोता होता तो क्या कर लेते ।

यदि थोड़ा सोचूं तो लगता है अगला निशाना रायपुर होगा ,यदि होता है तो ,या शायद भोपाल या कि पटना ,पर ऐसा न ही हो तो ही अच्छा है , भोपाल शहर कि स्थिति ये है कि यहाँ आज कोई चेक्किंग नही थी ,यहाँ तक कि कल रविवार को भी कुछ विशेष अभियान रहा हो ऐसा नही था । कोई भी भोपाल मैं कहीं भी आसानी से बम लगा सकता है ,सबसे भीड़ भाद वाले इलाकों मैं भी । ये राजनीति का निम्नतम स्वरुप है और इससे नीच क्या सोचा जा सकता है , महंगाई मेरे जीवन के सबसे उचतर स्तर पर है और राजनीति मैं अपना ही स्वार्थ देखती इन पार्टियों को देखने का मौका है मेरे पास ,

Banglore Ahemadabad Jaipur ....Raipur ? ? ?
मैंने कुछ ग़लत लिखा हो तो उसे माफ़ करें और बिना पड़े कमेन्ट बॉक्स न भरें , यदि समझ मैं आए तो मुद्दे पर ज़रूर लिखें

1 Comment

  1. isme haath chahe kisi ka bhi ho. par nuksan to aam admi ka hi hota hai. n jane ye rajniti kab khatam hogi.

    Posted on July 29, 2008 at 7:58 PM